In the first part of the Poem, a Boy is telling about his girlfriend to his friends. What does he say:
1 वो सुन्दर है, वो कोमल है, वो बाकी सबसे न्यारी है !
2 वो लिखती है, वो पढ़ती है, और बातें उसकी प्यारी हैं !!
1 वो हंसती है तो भाती है, दिल को घायल कर जाती है !
2 पर थोड़ी सी वो डरती है, न जाने क्यों ये करती है !!
1 मैं फ़ैन हो गया हूं उसका, बस कारण मत पूछो यारों !
2 कुछ तो है उसमें ऐसा, की अपनी सी वो लगती है !!
Now, he talks about the moments when he is with her on a date. And the good news is: these are the last few lines.
1 जब मिलती है तब लगता है, की वक़्त थम जाये अब !
2 रुक जाएं ये सुइयां अब, जो हर पल टिक-टिक चलती हैं !!
1 उन चंद लम्हों में लगता है, बातें ही तो हैं जीवन !
2 थोड़ा हंस लेना संग में, ही तो हैं मेरा मकसद !!
1 जाने की मनहूस घडी, अगले ही पल आ जाती है !
2 फिर वापस आ जाता हूं मैं, पर सोच से ना वो जाती है !!
1 है उसमें कुछ ऐसा जो - ढूंढ रहा था कब से मैं !
2 भगवान तुझे मानूंगा तब, गर वो मुझको मिल जाती है !!
frankspot
"मिटटी का तन , मस्ती का मन, क्षण भर जीवन, मेरा परिचय ...!"
27 March, 2016
Lucknow Nawabs | NPL
लखनवी नवाब हैं हम !
जम के खेलें, ओप्पोसिशन को पेलें,
आगाज़ तो हैं ही, अंजाम भी हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
सख्शियत है ऐसी की प्यार हो जाये,
तेवर हैं ऐसे की दुश्मन को नींद ना आये,
एनपीएल की जान हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
बैटिंग को उतरें तो बोलर्स घरबरायें,
फील्डर को बाउंड्री लाइन के पार लगाये,
बॉल गुमाने में तो कमाल हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
बोलर्स तो फाड़ हैं ही वैसे,
गोयल - दिक्षित - कीना जैसे,
धज्जियाँ उड़ाने में तो पक्के शैतान हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
देखो ट्रॉफी तो हमारी है, सबसे मजबूत दावेदारी है,
कह कर लेने में तो उस्ताद हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
मिलेंगे मैदान में, मन करे तो आ जाना,
वैसे नहीं भी आओगे तो कोई नुक्सान नहीं है,
धुल चटाने में तो तजुर्बेदार हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
सच्ची बात बताऊँ - काबिलियत तो है हममें,
पर कभी घमंड नहीं किया,
अच्छा क्रिकेट खेलें, काफी है,
क्योंकि इस जेंटलमैन गेम के डाई हार्ड फैन हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
जम के खेलें, ओप्पोसिशन को पेलें,
आगाज़ तो हैं ही, अंजाम भी हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
सख्शियत है ऐसी की प्यार हो जाये,
तेवर हैं ऐसे की दुश्मन को नींद ना आये,
एनपीएल की जान हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
बैटिंग को उतरें तो बोलर्स घरबरायें,
फील्डर को बाउंड्री लाइन के पार लगाये,
बॉल गुमाने में तो कमाल हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
बोलर्स तो फाड़ हैं ही वैसे,
गोयल - दिक्षित - कीना जैसे,
धज्जियाँ उड़ाने में तो पक्के शैतान हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
देखो ट्रॉफी तो हमारी है, सबसे मजबूत दावेदारी है,
कह कर लेने में तो उस्ताद हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
मिलेंगे मैदान में, मन करे तो आ जाना,
वैसे नहीं भी आओगे तो कोई नुक्सान नहीं है,
धुल चटाने में तो तजुर्बेदार हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
सच्ची बात बताऊँ - काबिलियत तो है हममें,
पर कभी घमंड नहीं किया,
अच्छा क्रिकेट खेलें, काफी है,
क्योंकि इस जेंटलमैन गेम के डाई हार्ड फैन हैं हम,
लखनवी नवाब हैं हम !
महिला शशक्तिकरण : नए दौर का भारत !
This poem is
about a girl named Meena who pursues her passion & becomes a role model for
many..
इक्कीसवीं
सदी के भारत की मैं, गौरव गाथा गाता हूँ,
महिला
शशक्तिकरण की तुमको आज एक कथा सुनाता हूँ !
एक
लड़की, मीना, थी सीधी साधी चंचल भोली वो,
पढ़
लिखकर पैरों पे खड़ी हो, देखती थी ये सपना वो !
बाबा
की थी लाडली मीना, जान से प्यारी थी बाबा को,
शय
में बाबा की हरदम, किया करती थी मनमानी वो !
गावं
की पहली लड़की थी जो मीट्रिक तक पढ़ पायी थी,
पर
आगे पढ़ना था उसको, रोके ना रुकने वाली थी!
विज्ञानं
विषय लिया बारहवीं में, और अव्वल नंबर पाये,
आखिर
बात तो थी मीना में जो वो गावं में सबको भाये !!
पर
फिर एक संकट का बादल मीना पर आ छाया था,
बाबा
के असमय देहांत ने उसपर घोर कहर बरपाया था !
माँ
और छोटे भाई की ज़िम्मेदारी उसपर आई थी,
जीवन
में पहली बार ये लड़की हालातों से घबराई थी !
पर
तूफ़ान चीर कर आगे बढ़ना मीना जानती थी,
टुइशनस
देकर बच्चों को घर का खर्च चलती थी !
इंजीनियर
बनने का सपना अब भी रात में आता था,
पर
पढाई के खर्च का डर मीना को हर दम सताता था !
फिर
एक दिन मीना ने ठाना जो उसका दिल कहता था,
प्रवेश
परीक्षा में अव्वल आकर उसे वज़ीफ़ा पाना था !
परीक्षा
में अव्वल आकर मीना ने खूब नाम कमाया,
और
अपने प्रदर्शन के दम पर IIT में दाखिला पाया !
पढाई
पूरी करके मीना को MNC में जॉब मिला,
पर
ऑफर को ठुकराना ना जाने क्यों उसने तय किया !
गावं
जाकर स्कूल खोलकर मीना आज पढ़ाती है,
अपने
जैसी अनेकों मीनाओं को हर दिन तराशती है !
सत्य
कहानी है ये मेरे पावन देश महान की,
इज्जाजत
चाहूँगा अब आप सब से मैं प्रस्थान की !
धन्यवाद
!!!
वसुधैव कुटुम्बकम !
Vasudhaiva Kutumbakam is a
Sanskrit phrase which means "the world is one family"
1 एक बंधन जो जोड़े सबको कहलाता विश्वास है,
2 वसुधैव कुटुम्बकम का फैलता प्रकाश है!
Now, I would request you to please
close your eyes. Listen to the words and make a picture of that perfect world
in your mind.
1 सोचो गर सब एक हो जाएं,
2 भेदभाव सब शुन्य हो जाAएं!
1 एक दूजे को गले लगाकर,
2 ईद दिवाली एक हो जाएं!
1 भूल जाएं हम जात पात सब,
2 इंसानियत को धरम बनाएं!
1 कर पाये गर इतना हम तो,
2 विश्व हमारा स्वर्ग हो जाये!
But, how is that new world going
to be different from our world. So, here’s my answer for that!
1 विश्वास जगह ले ले संशय की,
2 प्यार जगह ले ले ईर्ष्या की!
1 एक दूजे से आगे बढ़ना,
2 बात हो जाये बीते कल की!
1 हम करे वो, करना चाहे जो,
2 कही सुनें हम अपने मन की!
1 सहयोग मिले सबको सबका,
2 बात करे हम उन्नत कल की!
This ladies and Gentlemen is my
definition of a Perfect World.
02 September, 2015
जी ले ज़रा !
दो पल का ये है जीवन, ना सोच - है ज्यादा के कम,
क्यूँ व्यर्थ में चिंता करता है, करना ही है - तो कर चिंतन !
जो कब से दिल में था तेरे, वो अब भी दिल में है कहीं गुम,
मानेगा मेरी तो सुन: तूं मन की कर - पर सबकी सुन !
जीवन एक ही है प्यारे, तूं मत रख मन में कोई भ्रम,
सपनों को तू कर पूरा, अब ना व्यर्थ किये कोई क्षण !
आनंद ले जीवन का तूं, ना कर केवल - जीवन यापन,
आज अभी से ठान ले बस तूं - कि पाना है परमानंद !
क्यूँ व्यर्थ में चिंता करता है, करना ही है - तो कर चिंतन !
जो कब से दिल में था तेरे, वो अब भी दिल में है कहीं गुम,
मानेगा मेरी तो सुन: तूं मन की कर - पर सबकी सुन !
जीवन एक ही है प्यारे, तूं मत रख मन में कोई भ्रम,
सपनों को तू कर पूरा, अब ना व्यर्थ किये कोई क्षण !
आनंद ले जीवन का तूं, ना कर केवल - जीवन यापन,
आज अभी से ठान ले बस तूं - कि पाना है परमानंद !
11 August, 2015
खुशियाँ है मकसद
सपने हैं इन आँखों में और हिम्मत है इन बाँहों में,
लक्ष्य साध लिया है अब तो, निकल पड़ा हूं राहों पे !
कर लूंगा, जो भी है करना, इतना है विश्वास मुझे,
अपनी पहचान बनानी है, नहीं रहना है सायों में !
नाम कामना नहीं है मकसद, मकसद है खुशियाँ पाना,
पा लूंगा मैं खुशियों को, क्या रखा है नामों में !
माना प्रतिस्पर्धा है, आपाधापी है दुनिया में,
नहीं बनना है भीड़ का हिस्सा, क्यूँ पडूँ मैं इस सब में !
मंज़िल नहीं नज़र आई है, पर राह है सही मेरी,
चंद लम्हों की और बात है, मुझे यकीन हो जाने में !
लक्ष्य साध लिया है अब तो, निकल पड़ा हूं राहों पे !
कर लूंगा, जो भी है करना, इतना है विश्वास मुझे,
अपनी पहचान बनानी है, नहीं रहना है सायों में !
नाम कामना नहीं है मकसद, मकसद है खुशियाँ पाना,
पा लूंगा मैं खुशियों को, क्या रखा है नामों में !
माना प्रतिस्पर्धा है, आपाधापी है दुनिया में,
नहीं बनना है भीड़ का हिस्सा, क्यूँ पडूँ मैं इस सब में !
मंज़िल नहीं नज़र आई है, पर राह है सही मेरी,
चंद लम्हों की और बात है, मुझे यकीन हो जाने में !
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