This poem is
about a girl named Meena who pursues her passion & becomes a role model for
many..
इक्कीसवीं
सदी के भारत की मैं, गौरव गाथा गाता हूँ,
महिला
शशक्तिकरण की तुमको आज एक कथा सुनाता हूँ !
एक
लड़की, मीना, थी सीधी साधी चंचल भोली वो,
पढ़
लिखकर पैरों पे खड़ी हो, देखती थी ये सपना वो !
बाबा
की थी लाडली मीना, जान से प्यारी थी बाबा को,
शय
में बाबा की हरदम, किया करती थी मनमानी वो !
गावं
की पहली लड़की थी जो मीट्रिक तक पढ़ पायी थी,
पर
आगे पढ़ना था उसको, रोके ना रुकने वाली थी!
विज्ञानं
विषय लिया बारहवीं में, और अव्वल नंबर पाये,
आखिर
बात तो थी मीना में जो वो गावं में सबको भाये !!
पर
फिर एक संकट का बादल मीना पर आ छाया था,
बाबा
के असमय देहांत ने उसपर घोर कहर बरपाया था !
माँ
और छोटे भाई की ज़िम्मेदारी उसपर आई थी,
जीवन
में पहली बार ये लड़की हालातों से घबराई थी !
पर
तूफ़ान चीर कर आगे बढ़ना मीना जानती थी,
टुइशनस
देकर बच्चों को घर का खर्च चलती थी !
इंजीनियर
बनने का सपना अब भी रात में आता था,
पर
पढाई के खर्च का डर मीना को हर दम सताता था !
फिर
एक दिन मीना ने ठाना जो उसका दिल कहता था,
प्रवेश
परीक्षा में अव्वल आकर उसे वज़ीफ़ा पाना था !
परीक्षा
में अव्वल आकर मीना ने खूब नाम कमाया,
और
अपने प्रदर्शन के दम पर IIT में दाखिला पाया !
पढाई
पूरी करके मीना को MNC में जॉब मिला,
पर
ऑफर को ठुकराना ना जाने क्यों उसने तय किया !
गावं
जाकर स्कूल खोलकर मीना आज पढ़ाती है,
अपने
जैसी अनेकों मीनाओं को हर दिन तराशती है !
सत्य
कहानी है ये मेरे पावन देश महान की,
इज्जाजत
चाहूँगा अब आप सब से मैं प्रस्थान की !
धन्यवाद
!!!
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