11 August, 2015

खुशियाँ है मकसद

सपने हैं इन आँखों में और हिम्मत है इन बाँहों में,
लक्ष्य साध लिया है अब तो, निकल पड़ा हूं राहों पे !
कर लूंगा, जो भी है करना, इतना है विश्वास मुझे,
अपनी पहचान बनानी है, नहीं रहना है सायों में !
नाम कामना नहीं है मकसद, मकसद है खुशियाँ पाना,
पा लूंगा मैं खुशियों को, क्या रखा है नामों में !
माना प्रतिस्पर्धा है, आपाधापी है दुनिया में,
नहीं बनना है भीड़ का हिस्सा, क्यूँ पडूँ मैं इस सब में !
मंज़िल नहीं नज़र आई है, पर राह है सही मेरी,
चंद लम्हों की और बात है, मुझे यकीन हो जाने में !

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