02 September, 2015

जी ले ज़रा !

दो पल का ये है जीवन, ना सोच - है ज्यादा के कम,
क्यूँ व्यर्थ में चिंता करता है, करना ही है - तो कर चिंतन !
जो कब से दिल में था तेरे, वो अब भी दिल में है कहीं गुम,
मानेगा मेरी तो सुन: तूं मन की कर - पर सबकी सुन !
जीवन एक ही है प्यारे, तूं मत रख मन में कोई भ्रम,
सपनों को तू कर पूरा, अब ना व्यर्थ किये कोई क्षण !
आनंद ले जीवन का तूं, ना कर केवल - जीवन यापन,
आज अभी से ठान ले बस तूं - कि पाना है परमानंद !

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